google-site-verification=BbOBTOQUVoqtaGVzren3AP8_J6lJ0MrmFPp0ebBy2zo संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान Skip to main content

संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान


संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान ,(महत्वपूर्ण एक नजर में)


संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान विश्व का सर्वप्रथम लिखित संविधान है इस संविधान में केवल 400 शब्द ही हैं यह संविधान 10 या 12 पृष्ठों में छपा है और जिसे आधे घंटे में पढ़ा जा सकता है इसमें केवल 7 अनुच्छेद हैं।

यहां पर संविधान के निर्माण कर्ताओं ने केवल मूल ढांचे को ही तैयार किया क्योंकि वे जानते थे कि भविष्य की आवश्यकताओं को विस्तृत रूप से इंगित करना उचित नहीं होगा यही कारण है कि अमरीका में सविधान के विभिन्न विषयों को लेकर काफी विवाद विवाद होता रहा है और इन बातों की वजह से न्यायपालिका वहां काफी शक्तिशाली भूमिका निभाती है प्रमुख रूप से न्यायपालिका संविधान की धाराओं को परिभाषित करती है अमेरिका का संविधान 1887 की फिलाडेल्फिया कॉन्फ्रेंस द्वारा निर्मित संविधान है ।संविधान के साथ इसके 50 वर्षों का इतिहास जुड़ा हुआ है और उसका विकास कई चरणों में दिखाता है द्वारा की गई उसके बाद बड़े पैमाने पर रूप से लोग आए।


अमेरिका में अधिकांश लोग इंग्लैंड से आकर बसे और फिर धीरे-धीरे जर्मनी, आयरलैंड ,स्कॉटलैंड पुर्तगाल ,स्विट्ज़रलैंड ,स्पेन आदि से लोग अमेरिका में आ गए और यहां के विविध प्रदेशों में जाकर बस गए।

अमेरिका में जो लोग आए वे संभवत अपनी भाषा के साथ अपनी संस्कृति अपनी परंपरा तथा अपनी स्वतंत्रता जीवन संबंधी विभिन्न प्रकार के विचार लाए।

अधिकांशत यूरोप उनके साथ घुले मिले और सब प्रकार के लोगों से घुलने मिलने से एक नई संस्कृति का निर्माण हुआ इंग्लैंड और उन दोनों की संस्कृति का मिश्रण बना हुआ था यहां।

यूरोप से आए हुए लोग अधिकतर सुव्यवस्थित और शिक्षित थे अतः उन्होंने यह आवश्यक समझा कि उपनिवेश की स्थापना के लिए इंग्लैंड की सरकार से विधिवत आज्ञा प्राप्त किए जाए।
इंग्लैंड के राजा ने संबंधी आज्ञा पत्र को प्रपत्र के रूप में विविध प्रकार के व्यक्तियों को व संस्थाओं को प्रदान किया और यह प्रपत्र कभी व्यापारिक कंपनियों को विशेष व्यक्तियों को तथा कभी अन्य उपनिवेश स्थापित करने वालों को दिए गए इसके परिणाम स्वरूप अमेरिका में निवेश की स्थापना का दौर चल गया।

और 1776 तक अमेरिका में अलग-अलग 13 ऐसे उपनिवेश स्थापना हो गई जो अपने आंतरिक मामलों में  स्वतंत्र होते हुए भी इंग्लैंड के अधीन थे।
फ्रांस और इंग्लैंड के बीच 7 वर्षीय युद्ध चला उसके बाद इंग्लैंड सरकार का यह प्रयास है कि अधिनस्थ उपनिवेश लड़ाई का खर्चा वहन करें लेकिन इंग्लैंड के बीच यही सबसे बड़ी झगड़े की वजह बनी।

जिसके परिणाम स्वरूप इंग्लैंड के उपनिवेश उससे दूर होते चले गए और प्रांतों ने जॉर्ज वॉशिंगटन के नेतृत्व में अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी और इंग्लैंड को हरा दिया।

इसके बाद स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत ही उपनिवेश के मध्य पारस्परिक मतभेद रहता उत्पन्न हुए कौशिक के पश्चात आपसी मतभेदों के निवारण के लिए 17 नवंबर 1777 को परिसंघ की स्थापना का प्रस्ताव भी पास हुआ इसी ।
इसी प्रस्ताव के आधार पर  1781 में परिषद की स्थापना हो गई।
परिसर संघ प्रारंभ से ही निर्बल था इसी कारण संविधान के निर्माण की आवश्यकता का अनुभव हुआ।
लेकिन इसमें भी उतनी सफलता नहीं मिली इसके तत्पश्चात 25 मई 1787 का फिलाडेल्फिया में एक सभा का आरंभ हुआ इस सभा में 13 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस सभा की अध्यक्षता जॉर्ज वाशिंगटन ने की इसके अतिरिक्त सभा में भाग लेने वाले लोगों में जेम्स मैडिसन ,बेंजामिन फ्रैंकलीन, हैमिल्टन, डाडी मेशन, जेम्स विल्सन, जॉन डिकिंसन एवं रॉबर्ट मॉरिस थे।
इस सभा से दो विचार सामने उभर कर आए-
पहला संघवाद के समर्थक और दूसरे संघवाद के विरोधी।
इस प्रकार संघ वादी पक्ष की विजय हो गई और परिषद के स्थान पर नया संघ राज्य की स्थापना के प्रारूप तैयार किया जाने लगा।

इस समझौते को संपन्न करने के लिए 10 दिन का समय लगा इस समझौते के अंतर्गत केंद्र में व्यवस्थापिका के द्वारा धन की व्यवस्था की गई जिस कारण निम्न सभा प्रतिनिधि सभा में जनसंख्या के आधार पर राज्यों के प्रतिनिधि चुने जाएंगे और दूसरा मैं छोटे बड़े सभी राज्यों को समान प्रतिनिधित्व मिलेगा।

इस सम्मेलन में एक और मान्टेस्क्यू के शक्ति विभाजन के सिद्धांत पर भी जोर दिया गया मैं यहां स्पष्ट तौर पर बता देना चाहता हूं कि अमेरिका का संविधान मान्टेस्क्यू के शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत के आधार पर बना हुआ है।
26 जुलाई 1787 तक संविधान के प्रमुख सिद्धांतों पर सहमति हो गई और 26 प्रस्ताव के रूप में संविधान को स्वीकार कर लिया गया।

8 सितंबर 1787 को और इसकी अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई जिसने 15 सितंबर तक संविधान का प्रारूप तैयार कर दिया।
 सम्मेलन में एक संविधान सभा  के निर्णय तभी प्रभावशाली होते जब दो तिहाई राज्यों और 13 में से नौ राज्य इसे स्वीकार कर लेते हैं।
परंतु आपसी मतभेद उभर के आने के कारण प्रारूप में अधिकार पत्र की व्यवस्था नहीं की गई है।

बाद में स्वीकार कर लिया कि अधिकार पत्र की व्यवस्था कर दी। 3 मार्च 1789 से नई सरकार ने कार्य प्रारंभ कर दिया संविधान के अनुसार।
अमेरिका की वर्तमान शासन व्यवस्था का संचालन 1789  मे लागू संविधान के आधार पर ही किया जा रहा है अभी तक इसमें कुल 87 संशोधन हो सके हैं।

अमेरिकी संविधान की विशेषताएं-


गणतंत्र व्यवस्था -


अमेरिकी संविधान की प्रमुख विशेषताएं उसके द्वारा एक गणतंत्र की स्थापना की गई है निर्वाचित कार्यकारिणी तथा निर्वाचित व्यवस्थापिका इस गणतंत्र के प्रमुख सिद्धांत हैं इस वर्ष की विशेषता यह होती है कि इसमें कोई पद किसी व्यक्ति विशेष के लिए सुरक्षित नहीं होता आ सकता है।


अध्यक्षात्मक व्यवस्था-


अमेरिका में अध्यक्षात्मक व्यवस्था है।
यहां पर सरकार के विभिन्न अंगों में अधिकार विभाजन की व्यवस्था होती है कार्यकारिणी अध्यक्ष का कार्यकाल निश्चित होता है विधानमंडल के प्रति उत्तरदायित्व ना होना, और नाममात्र की कार्यकारिणी में कोई भेद ना होना।सविधान का प्रमुख राष्ट्रपति होता है और वास्तविक प्रमुख भी राष्ट्रपति होता है। भारत और फ्रांस इंग्लैंड में संसदात्मक कार्यपालिका की स्थापना की गई है जबकि अमेरिका में अध्यक्षात्मक कार्यपालिका की स्थापना की गई है यहां पर राष्ट्रपति कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान ही है संसद प्रणाली राष्ट्रपति में मंत्रिमंडल विधायिका के प्रति उत्तरदाई होता है पर होता है परंतु अमेरिका में राष्ट्रपति का मंत्रिमंडल उसी के द्वारा बनाया जाता है।

अमेरिकी अध्यक्षात्मक प्रणाली के आधार पर कार्यपालिका विधायिका से पूर्ण रुप से स्वतंत्र होकर कार्य करती है राष्ट्रपति कांग्रेस की कार्यवाही में प्रत्यक्ष रूप से कोई भाग नहीं लेता नहीं उसके लिए उत्तरदाई होता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 वर्ष का होता है राष्ट्रपति कार्यकारिणी का वास्तविक अध्यक्ष होता है अपने पद्यावती के लिए वह कांग्रेस पर निर्भर नहीं रहता बल्कि अपने कार्य के लिए वह स्वयं के प्रति उत्तरदाई होता है। इस पर इस प्रकार राष्ट्रपति तथा कांग्रेस दोनों स्वाधीन संस्थाएं हैं।

लोग प्रभुता पर आधारित-


अमेरिकी संविधान लोकप्रियता के संस्थान पर आधारित है संविधान जनता के संघर्ष का ही परिणाम है अतः इसके प्रस्तावना में यह घोषित किया गया है कि हम संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक किस संविधान की रचना एवं स्थापना करते हैं संविधान में लोकतंत्र शासन प्रणाली स्थापित होती है।

शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत पर आधारित-


अमेरिकी संविधान का निर्माण लॉक तथा मान्टेस्क्यू के सिद्धांतों के आधार पर बना हुआ है वह इस बात से सहमत थे कि व्यवस्थापिका कार्यपालिका तथा न्यायपालिका इन तीनों शक्तियों में प्रथक्करण आवश्यक है अर्थात यह सरकार के तीनों एक दूसरे से स्वतंत्र रहें और किसी की निरंकुशता को सहन ना करें और स्वतंत्र तौर पर अपना कार्य करते रहें।
अमेरिका में सरकार की तीनों एक दूसरे से स्वतंत्र हैं।परंतु साथ ही यह भी है कि तीनों के मध्य प्रदेश पर संबंधित था संपर्क स्थापित करना भी सपा शासन के लिए आवश्यक है क्योंकि इसके बिना सरकार में एकता की भावना नहीं रह सकती। राष्ट्रपति कार्यकारिणी का सर्वोच्च अध्यक्ष है और सुप्रीम कोर्ट तथा उसके अधीन संघी न्यायालयों में सर्वोच्च शक्ति निहित है।यह तीनों विभाग अपने अपने क्षेत्र में परस्पर स्वतंत्र हैं कोई एक दूसरे के प्रति उत्तरदाई नहीं है ।

 संघीय शासन प्रणाली


अमेरिकी संविधान की मुख्य विशेषताएं इस आसन के अनुसार विभिन्न राजीव कुछ सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु इस प्रकार अपने को एक संघ में संगठित करते हैं कि वह अपने कार्य क्षेत्र में स्वतंत्र तथा सर्वोच्च रहते हुए भी राष्ट्रीय एकता  में  जुड़े रह सके।
लॉर्ड प्राइस के शब्दों में "संयुक्त राज्य अमेरिका में एक ऐसा राज्य मंडल है जिसमें अनेक राज्य हैं और एक ऐसा गणतंत्र है जिसमें विविध गणतंत्र सम्मिलित हैं वह विभिन्न संघतरित राज्यों का समूह है। किसने केंद्र व राज्य सरकारों के मध्य सार्वभौमिकता इस प्रकार व्यक्त रहती है कि दोनों अपने अपने अधिकार क्षेत्र में स्वतंत्र रहते हैं।
दोनों के बीच अधिकारों का विभाजन संविधान द्वारा होता है।'

लिखित संविधान


अमेरिकी संविधान दुनिया का पहला लिखित संविधान है इसमें सात धाराएं हैं और अभी तक केवल 27 संशोधन इसमें किए जा चुके हैं।
यहां 400 शब्दों का संविधान है इसमें केवल 12 13 पृष्ठ ही है।

अमेरिकी संविधान लिखित है फिर भी इसके विकास में प्रथाओं परंपराओं तथा रीति-रिवाजों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है यह परंपराएं जो अलिखित है उतनी ही वास्तविक हैं संविधान का लिखित भाग वास्तविक है।

ब्रोगन, के शब्दों में अमेरिका का लिखित संविधान एक ढांचे के समान है जिसको रीति-रिवाजों राजनीतिक दलों राष्ट्रपतियों तथा आर्थिक उन्नति के रक्त और मांस प्रदान किया है और देशप्रेम ने जीवनदान।

कठोर संविधान



संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान कठोर है इसमें संशोधन एक विशेष प्रक्रिया के द्वारा किया जा सकता है जो सामान्य विधि निर्माण की प्रक्रिया से बहुत अलग है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में संविधान संशोधन की प्रक्रिया काफी जटिल है संशोधन संबंधी प्रस्ताव 1- के दोनों सदनों के दो तिहाई सदस्य द्वारा या 2 -दो तिहाई सदस्यों राज्यों के विधान मंडलों की मांग पर आयोजित विशेष सम्मेलन द्वारा प्रस्तावित किया जाता है।

इसके बाद उसके समर्थन के लिए या तीन चौथाई राज्यों के विधान मंडलों अथवा तीन चौथाई राज्यों के विशेष सम्मेलन की स्वीकृति आवश्यक है।

संशोधन की प्रक्रिया बेहद जटिल है ।यहां अभी तक केवल 27 ही संशोधन हुए हैं जिसमें से 10 के लिए संविधान लागू होने के पूर्व ही समझौता किया जा चुका था।

संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान निर्माताओं ने एक ऐसा संविधान बनाना है जो आगे जाकर कठिनाइयों को सह सके और लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरे।
सविधान में ऐसी भाषा का प्रयोग किया गया है कि कांग्रेस राष्ट्रपति तथा सर्वोच्च न्यायालय उसकी व्याख्या करते हुए संविधान को समय के अनुरूप कर सकें।


न्यायिक सर्वोच्चता-


अमेरिका का सर्वोच्च न्यायालय भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं है। चार्ल्स बीयर्ड द्वारा भी इसे संघात्मक शासन की प्रमुख विशेषता माना गया है।
सर्वोच्च न्यायालय संविधान का अतिक्रमण करने वाले कांग्रेस के कानूनों को या राष्ट्रपति के निर्देशों को अवैध घोषित कर सकता है।
यहां पर इसे न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार भी कहते हैं और इस शक्ति के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय संघ राज्य सरकारों को अपने क्षेत्र तक सीमित रखता है तथा संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखता है।

1803 के चीफ जस्टिस मार्शल ने मारबारी बनाम मेडिसन नामक मुकदमे में न्यायिक सर्वोच्चता के सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए स्पष्ट कहा था कि सब प्रकार के कानूनों की संवैधानिकता जांच करने का एकमात्र अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को ही है।

नागरिकों के प्रमुख मूल अधिकार प्रदान करना-

व्यक्तियों के स्वतंत्रता सुरक्षा को रक्षित करने के लिए संविधान द्वारा नागरिकों को कुछ मूल अधिकार भी प्रदान किए गए हैं यह सरकार की शक्तियों पर पर्याप्त अंकुश लगाए हैं, यहयह बात प्रमुख उल्लेखनीय है कि संविधान के मौलिक आलेखों में नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया गया था,इस महत्वपूर्ण अभाव की पूर्ति प्रथम 10 संशोधनों के द्वारा करने का प्रयास किया गया था जिन्हें सामूहिक रूप से नागरिकों के अधिकारों का एक अधिकार पत्र कहा जाता है।

जस्टिस स्टोन के अनुसार "जनता के दृढ़ विश्वास की अपेक्षा संविधान अधिकार रूप से व्यक्त करता है कि जनतंत्र पद्धति की किसी भी मूल्य पर अच्छा होनी चाहिए।"
धर्म के स्थापन तथा आचरण की स्वतंत्रता ,इच्छा अनुसार किसी भी कार्य को करने की स्वतंत्रता, कानून की क्षमता की स्वतंत्रता, भाषण देने की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण इकट्ठा होने की स्वतंत्रता ,तथा शिकायतों के निवारण की स्वतंत्रता किसी नौकरी हेतु आवेदन की स्वतंत्रता , राज्य द्वारा किसी की भी संपत्ति को हस्तगत ना करना ,बिना मुकदमा चलाए और न्यायालय द्वारा दंडित हुए हिरासत और जेल में रखना आदि ऐसे प्रमुख अधिकार हैं।

आंतरिक या बाहरी आक्रमण के अतिरिक्त अन्य किसी भी स्थिति में पथरी प्रत्यक्षीकरण केले को स्थगित नहीं किया जा सकता और ना ही सरकार पील ऑफ अटेंडर पास कर सकती है,
जिससे किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए फांसी की सजा दी जा सके इस प्रकार अमेरिकी संविधान में नागरिकों को अनेक महत्वपूर्ण मूल अधिकार प्रदान किए हैं।

दोहरी नागरिकता


यदि भारतीय संविधान की बात करें तो यहां इकहरी नागरिकता की व्यवस्था है ।लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका में संघात्मक संविधान में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है।

वह व्यक्ति एक ओर संयुक्त राज्य अमेरिका का नागरिक होता है वहीं दूसरी ओर अपने राज्य का भी नागरिक होता है।18 57 में डे ट स्कॉट नामक मुकदमे में सर्वोच्च न्यायालय नहीं हो निर्णय दिया था कि प्रत्येक अमेरिकी को दोहरी नागरिकता प्राप्त है क्योंकि संघ बनने से पूर्व सभी राज्यों को नागरिकता प्रदान करने का अधिकार था और उन्होंने संघ को यह अधिकार नहीं दिया था।


2-अमेरिकी संघीय कार्यपालिका


अमेरिकी राष्ट्रपति,-अमेरिका के संविधान में अनुच्छेद 2 के अनुसार संघ की कार्यपालिका शक्ति एक राष्ट्रपति में निहित होगी संविधान में इंगित इस कथन के अनुसार राष्ट्रपति की स्थिति बहुत स्पष्ट नहीं होती ऐसा क्योंकि कोई भी महत्वपूर्ण संस्था वैसी ही नहीं रहती जैसा का नाम से बुलाता है यह कथन सबसे अधिक प्रमुख रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति के संबंध में कहा जा सकता है।


संविधान लागू होने के बाद सही यह देखा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की शक्ति निरंतर बढ़ती जा रही है यह कहना उचित होगा कि अमरीका का राष्ट्रपति संसार में सबसे महान शासक हो गया है लोगों का मानना है कि अब तक लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति ने इतनी अधिक सत्ता का प्रयोग नहीं किया है जितना कि अमेरिकी राष्ट्रपति करता है। चौकी जा कर सकती हैं अमेरिकी राष्ट्रपति के पास होती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति, राष्ट्रपति पद की योग्यताएं,-


1-संयुक्त राज्य अमेरिका का जन्मजात नागरिक      होना चाहिए।
2-उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो।
3-वह कम से कम 14 वर्ष से संयुक्त राज्य अमेरिका में रहा हो।

अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यकाल-अमेरिका के                                                            राष्ट्रपति  4 साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त होता है और 4 साल का दो कार्यकाल का निर्वाह कर सकता है अगर उपराष्ट्रपति के पद से राष्ट्रपति बनता है तो अधिकतम 10 वर्षों का कार्यकाल उसे प्राप्त होगा ।

संविधान में 22 संशोधन के तहत बताया गया है कि एक ही होती तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं चुना जाता है।लेकिन इसमें दूसरी ओर एक अपवाद युद्ध के समय का है जिसमें कांग्रेसी विशेष परिस्थितियों में मौका भी दे सकती है।

    अमेरिका के राष्ट्रपति को इस समय हर साल 4 लाख डॉलर बतौर सैलरी मिलते हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति का वेतन 4 लाख डॉलर प्रतिवर्ष है .

राष्ट्रपति का निर्वाचन-    अमेरिकी राष्ट्रपति का  

                                   निर्वाचन पांच चरणों में होता है-


1-उम्मीदवारों का चयन-अमेरिका में प्रत्येक दल की      राष्ट्रीय समिति अपने-अपने दल के सम्मेलन के लिए समय और स्थान का निर्णय करती है और प्रारंभिक व्यवस्था करती है।

प्रत्येक दल के राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए प्रतिनिधि विभिन्न उपायों के द्वारा चुने जाते हैं कुछ प्राथमिक क्षेत्रों से कुछ राज्य सम्मेलन से और कुछ केंद्रीय समिति उदाहरण और इनकी संख्या 1500 के बीच रहती है यह सम्मेलन चुनाव वर्ष के जुलाई अगस्त के महीने में होता है।
सम्मेलन में नियमित प्रतिनिधियों के अलावा कुछ वैकल्पिक प्रतिनिधि भी होते हैं जो नियमित प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति में मतदान में भाग ले सकें इस प्रकार पूर्ण बहुमत प्राप्त करने वाला व्यक्ति दल का उम्मीदवार बनता है।

2-चुनाव अभियान की शुरुआत- सम्मेलन समाप्त होने के बाद चुनाव अभियान की प्रक्रिया का आरंभ होता है यहां पर मुख्य था समाचार पत्रों रेडियो टेलीविजन ट्रेन अन्य मीडिया विज्ञान संबंधी उपकरणों द्वारा अपने उम्मीदवार के पक्ष में विभिन्न प्रकार के साहित्य का प्रकाशन होता है।


3-निर्वाचक मंडल का चुनाव होता है-

दोनों दलों से निर्वाचक मंडल के लिए अपने उम्मीदवार उतारे जाते हैं निर्वाचन मंडल के उम्मीदवारों को शपथ लेनी होती है कि चुने जाने पर भी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में अपने ही दल के उम्मीदवारों को मत देंगे।

अमरीकी संविधान में स्पष्ट लिखा गया है कि कांग्रेस का कोई सदस्य संयुक्त राज्य अमेरिका में लाभ के पद पर आसीन कोई व्यक्ति निर्वाचक मंडल का सदस्य नहीं बन सकता इस निर्वाचन मंडल का कार्य राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति चुने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।मतदान के 1 दिन पहले राष्ट्रपति के पद के उम्मीदवार मतदाताओं से अंतिम अपील करते हैं निर्वाचन मंडल के सदस्यों का चुनाव व्यक्तिगत ना होकर सामूहिक होता है।

जिस दल को किसी राज्य में मतदाताओं का बहुमत प्राप्त हो जाता है उसी दल के सारे उम्मीदवार राष्ट्रपति के निर्वाचन मंडल के सदस्य चुने जाते हैं।


4-राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल द्वारा ,-अमेरिका में दिसंबर माह के दूसरे बुधवार को निर्वाचक मंडल के सदस्य अपने-अपने राज्यों के राजधानी में एकत्रित होते हैं और राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति पद के लिए विभिन्न उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करते हैं तत्पश्चात मतों की गणना की जाती है और इसे फिर सीनेट के अध्यक्ष के पास भेज दिया जाता है।

सीनेट के अध्यक्ष द्वारा कांग्रेस के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में मतों की गणना होती है जिसके परिणाम स्वरूप कानूनी तौर पर जीतने वाले व्यक्ति की घोषणा की जाती है।

5 -राष्ट्रपति का पद ग्रहण -   सविधान संशोधन 1933 के अनुसार राष्ट्रपति 4 मार्च के बजाय 20 जनवरी को अपना पद ग्रहण करता है।


5-राष्ट्रपति की पदचयुति-

संविधान के अनुच्छेद 2 की धारा 4 के अनुसार राष्ट्रपति को केवल महाभियोग के आधार पर ही पदच्युत किया जा सकता है और यह केवल देश देशद्रोह अन्य किसी को अपराध के आधार पर चलाया जा सकता है ।

इस प्रक्रिया के अंतर्गत प्रतिनिधि सभा का कोई एक या कुछ सदस्य राष्ट्रपति के विरुद्ध उपयुक्त आधार पर आरोप लगा सकते हैं इसके बाद ही आरोप किसी न्यायिक समितियां, विशेष जांच समिति को दिए जाते हैं।
जांच समिति द्वारा प्रतिवेदन दिए जाने पर प्रतिनिधि सभा आवश्यक समझे तो वहां एक प्रस्ताव तैयार करती है, जिसमें राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों का उल्लेख किया जाता है और प्रतिनिधि सभा को यह प्रस्ताव अपने बहुमत से पारित करना होता है और इसकी एक सूचना राष्ट्रपति को भी भेजी जाती है।
इस प्रक्रिया के बाद प्रस्ताव को सीनेट को
 भेज दिया जाता है सीनरी आरोपों की जांच हेतु एक न्यायालय के रूप में कार्य करती है सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश इस बैठक की अध्यक्षता करता है राष्ट्रपति अपने बचाव के लिए वहां पर उपस्थित होता है और फिर वकील की सहायता ले सकता है इस प्रक्रिया के बाद सीनियर दो तिहाई बहुमत से महाभियोग प्रस्ताव को पारित कर दे तो राष्ट्रपति को उसके पद से हटाया जा सकता है।


राष्ट्रपति की प्रमुख शक्तियां-

अमेरिकी संविधान के आधार पर संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति में सभी कार्यपालिका की शक्ति है नहीं तो होती है।

अमेरिका के राष्ट्रपति कांग्रेस के द्वारा बनाए गए कानून को लागू करने के लिए मुख्य रूप से उत्तरदाई है राष्ट्रपति इस कार्य में अनेक संगीत कर्मचारी द्वारा सहायता लेता है देश में शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने की मुख्य जिम्मेदारी अमेरिकी राष्ट्रपति को ही है अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यपालिका के अध्यक्ष होने के साथ-साथ प्रशासन का सदस्य निदेशक भी होता है

अमेरिका का राष्ट्रपति सभी मंत्रियों के राजदूतों, वाणिज्य दूतों, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, विभागों के अध्यक्षों सचिवों ,सेना के अधिकारियों की नियुक्ति भी करता है।इसके अतिरिक्त अमरीकी राष्ट्रपति नियुक्त जिला न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।

और अमेरिका के राष्ट्रपति छोटी-छोटी नियुक्ति भी करता है जैसे सीमा शुल्क इकट्ठा करने वाले कर्मचारियों की नियुक्तियां ,सरकारी नियमों नियुक्ति, संघी य न्यायालय के न्यायाधीशों एवं कर्मचारियों की, जिला महान्यायवादी यों की नियुक्तियां भी करता है।

साथ ही अमेरिका का राष्ट्रपति संघीय अधिकारियों को निर्देश तथा दे देने का अधिकार भी रखता है अमेरिकी राष्ट्रपति को अनेक अधिकारियों को पदच्युत करने का भी अधिकार है।

संविधान के अनुसार राष्ट्रपति संघीय कानून के विरुद्ध अपराध करने वाले व्यक्तियों के अपराध को क्षमा भी कर सकता है या उसे निलंबित कर सकता है।

अमेरिकी विदेश नीति का मुख्य निर्माता व संचालक अमेरिकी राष्ट्रपति ही होता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति सभी सेनाओं  का सर्वोच्च सेनापति भी होता है ।

अमेरिकी राष्ट्रपति को कार्यपालिका आदेश जारी करने का अधिकार भी प्राप्त है यह अधिकार अमेरिकी कांग्रेस राष्ट्रपति को प्रदान करती है जिसे अध्यादेश शक्तियां प्रदत्त व्यवस्थापन भी कहते हैं।

साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति को अमेरिकी संसद या कांग्रेस द्वारा पारित विधेयकों पर वीटो या निषेधा अधिकार शक्ति भी प्राप्त है अमेरिकी राष्ट्रपति की वीटो की शक्तियां दो भागों में बांटी जा सकती है।
 1 -निलंबन कारी निषेध अधिकार और
 दूसरा2- पॉकेट वीटो।
अमेरिकी राष्ट्रपति सीनेट की सहमति से वह संगी न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भी कर सकता है अमेरिकी राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां हैं उसे अन्य शक्तियां जैसे वह अमेरिकी संघ के विरुद्ध किए गए अपराधों के संबंध में अपराधियों के अपराध को स्थगित या क्ष मा भी कर सकता है अमेरिकी राष्ट्रपति विद्रोह को आम माफी भी दे सकता है।
वेतनअमेरिका के राष्ट्रपति

3 व्यवस्थापिका(कांग्रेस)


संयुक्त राज्य अमेरिका में व्यवस्थापिका कांग्रेसका जाता है अमेरिकी कांग्रेस के मुख्य द्वार पर दो सदन होते हैं पहला सीनेट एवं दूसरा हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव।

सीनेट की कुल सदस्य संख्या 100 है सीनेट ने अमेरिका के सभी राज्यों को समान संख्या में प्रतिनिधि भेजने का अधिकार प्राप्त हैं ।
इन सभी राज्यों से 2-2 प्रतिनिधि सीधे जनता द्वारा निर्वाचित होकर सीनेट सभा में आते हैं अमेरिका में 50 राज्य हैं।

सीनेट अमेरिकी व्यवस्थापिका का एक स्थाई सदन है। यहां व्यवस्थापिका का मतलब कांग्रेस हैं।
लेकिन इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का है । सीनेट सभा के लिए सदस्य हर 2 वर्ष में एक तिहाई अवकाश ग्रहण करते हैंतथा इतने ही नए सदस्य निर्वाचित होकर सीनेट सभा में आते हैं।

सीनेट की कुल सदस्य संख्या का बहुमत 51 है सीनेट के अधिवेशन प्रतिवर्ष 3 होते हैं सीनेट का विशेष अधिवेशन राष्ट्रपति द्वारा आवश्यकता पड़ने पर बुलाया जाता है।
अमेरिका में सीनेट की सदस्यता के लिए उम्मीदवार की न्यूनतम उम्र 30 वर्ष होनी चाहिए और इसके अतिरिक्त उसे अमेरिका का 9 वर्ष से नागरिक होना जरूरी है।

सीनेट में भाषण की अवधि पर कोई रुकावट नहीं है इस कारण इसे कई बार सदस्य इसका दुरुपयोग कर सरकारी कामकाज में बाधा डालते हैं इस परंपरा को सीनेट में' filibaster' कहते हैं।
अमेरिका का उपराष्ट्रपति सीनियर का पदेन सभापति भी होता है वह मतदान में भाग नहीं लेता परंतु उसे निर्णायक मत डालने का अधिकार होता है सीनेट के सदस्य को अपने बीच सामाजिक अध्यक्ष चुनने का अधिकार है।
दूसरी ओर प्रतिनिधि सभा अमेरिकी कांग्रेस का निचला व प्रथम सदन है।
प्रतिनिधि सभा की सदस्य संख्या 435 है।
यहां पर प्रतिनिधि सभा के सदस्यों का भी चुनाव सीधे जनता द्वारा होता है इसके लिए अमेरिका के सभी राज्यों में निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था की गई है और यह व्यवस्था जनसंख्या के आधार पर होती है।
प्रतिनिधि सभा की सदस्यता के लिए न्यूनतम उम्र 25 होनी चाहिए उम्मीदवार के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि पिछले 7 वर्षों से अमेरिका का नागरिक हो।

अमेरिका में प्रतिनिधि सभा के निर्वाचन क्षेत्रों के निर्माण में gerrymandering की दूषित या कुप्रथा का प्रचलन है इस प्रथा के अंतर्गत या देखा गया कि सतावे सत्ताधारी दल चुनाव क्षेत्र का निर्धारण इस तरह से करते हैं कि वह विरोधी दल के समर्थकों की संख्या को थोड़े से क्षेत्र में सीमित कर देते हैं।
प्रतिनिधि सभा की गणपूर्ति कुल  का बहुमत संख्या अर्थात 218 है।

अमेरिकी संविधान के अनुसार देखा गया है कि यहां पर प्रतिनिधि सभा की तुलना में सीनेट सदन अधिक शक्तिशाली है इसी कारण यह कहा जाता है कि अमेरिकी सीनेट विश्व का सबसे शक्तिशाली द्वितीय सदन है।
प्रतिनिधि सभा की बैठकों की अध्यक्षता अध्यक्ष या स्पीकर करता है और अध्यक्ष का चुनाव औपचारिक रूप से सदन द्वारा होता है परंतु वास्तव में यहां बहुमत दल का नेता मनोनीत होता है।
अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदन अपने दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर संविधान में संशोधन प्रस्तावित करने का अधिकार प्राप्त करते हैं।
अमेरिकी कांग्रेस को राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति और अन्य अधिकारियों पर महाभियोग लगाने का भी अधिकार प्राप्त है प्रतिनिधि सभा को महाभियोग लगाने का अधिकार है और सीनेट उसकी जांच करता है जब अमेरिकी राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाया जाता है, तो उस समय सीनेट के अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश करता है।

4अमेरिका की संघीय न्यायपालिका-


जानकारी के लिए बता दूं कि अमेरिका में दूरी न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है अमेरिका में हर राज्य में अलग-अलग न्यायपालिका है और संघीय स्तर पर अलग न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। अमेरिका में संघीय स्तर पर तीन तरह के न्यायालय हैं -

 1-जिला न्यायालय।
 2-अपीलीय न्यायालय।
 3- सर्वोच्च न्यायालय।

जिला न्यायालय की बात करें तो जिला न्यायालय अमेरिका में संघीय न्यायपालिका के सबसे निचले क्रम या स्तर का न्यायालय है जिला न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है जिला न्यायालय के विरुद्ध अपील अपीलीय न्यायालय में की जाती है । संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में 11 न्यायिक भागों में बांटा गया है प्रत्येक अपनी न्यायालय में न्यायाधीश होते हैं और न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।अपीली न्यायालयों को जिला न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपील सुनने का अधिकार प्राप्त है अपीलीय न्यायालय को प्रारंभिक क्षेत्राधिकार नहीं है।
 संयुक्त राज्य अमेरिका में संघीय स्तर का सबसे बड़ा न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय है सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना यहां 1789 में की गई थी।

 अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय में कुल न्यायाधीश 9 है जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और 8 अन्य न्यायाधीश होते हैं और न्यायाधीशों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति द्वारा की जाती है लेकिन राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति की पुष्टि बाद में सीनेट सभा के द्वारा होना आवश्यक हो जाता है।
 अमेरिका में यह बात देखी गई है कि अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जीवन भर अपने पद पर रह सकते हैं परंतु 70 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद उन्हें स्वेच्छा से सेवानिवृत्त या अवकाश लेने करने का अधिकार प्राप्त है।अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय का अधिवेशन प्रतिवर्ष अक्टूबर के प्रथम सोमवार को होता है और अगले वर्ष जून माह के पहले सप्ताह तक चलता है यहां पर मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय का विदेश अधिवेशन भी बुला सकता है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को कॉन्ग्रेस महाभियोग के द्वारा हटा सकती है।
 अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार प्रदान किया गया है न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय को संविधान द्वारा प्राप्त नहीं है। लेकिन 1803 में देखा गया कि जब मार्बरी बनाम मेडिसन मुकदमा हुआ तो उस मुकदमे में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया था।
न्यायिक पुनरावलोकन का सिद्धांत अमेरिका में कानून की उचित प्रक्रिया या ड्यू प्रोसेस आफ लॉ पर आधारित है।
मार्बरी बनाम मेडिसन  मुकदमे की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश मार्शल कहते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका का लिखित संविधान इस सिद्धांत का समर्थन करता है कि यदि कोई कानून संविधान के विरुद्ध हो तो सर्वोच्च न्यायालय उसे अवैध घोषित कर सकता है, और अपराध के दायरे में ला सकता है।

उपराष्ट्रपति-


प्रारंभ में अमेरिका ने उपराष्ट्रपति पद के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई यहां तक कि उस समय बेंजामिन फ्रैंकलिन जैसे व्यक्तियों ने उपराष्ट्रपति को व्यर्थ का महिमावा न व्यक्ति भी कहा था।
परंतु अन्य सदस्यों द्वारा इस पद की आवश्यकता पर जोर दिया जाने लगा क्योंकि एक विशेष संविधान के लिए उपराष्ट्रपति पद का होना आवश्यक है।

उप राष्ट्रपति की योग्यता और निर्वाचन-


अमेरिकी संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति पद के लिए भी वही योग्यताएं हैं जो अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए हैं वर्तमान समय में देखा गया है कि अमेरिका में प्रमुख राजनीतिक दल उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का चयन इस दृष्टि से करते हैं कि राष्ट्रपति पद पर उनके उम्मीदवार की विजय के अवसर पर जाएं।
अमेरिका में यह देखा गया है कि यदि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार उत्तरी राज्यों से है तो उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को दक्षिणी राज्यों से ही लिया जाता है। और कभी कभी उपराष्ट्रपति पद को दल के असंतुष्ट वर्ग को संतुष्टि का आधार भी बना लिया जाता है उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति दोनों का चुनाव एक ही निर्वाचन मंडल द्वारा किया जाता है ।

मूल संविधान की बात करें इन दोनों के अलग अलग निर्वाचन की व्यवस्था थी इसे दूसरे नंबर से अधिक मत प्राप्त होते थे उसे उपराष्ट्रपति बना दिया जाता है।

परंतु 1804 के 12 संशोधन द्वारा संपूर्ण व्यवस्था बदल गई नई व्यवस्था में उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति पद दोनों के लिए अलग-अलग उम्मीदवारों को खड़ा किया जाने लगा और अलग नंबर डालने की पद्धति अपनाई गई उपराष्ट्रपति के लिए भी उम्मीदवार को सभी निर्वाचित को का बहुमत प्राप्त होना आवश्यक हो जाता है और यदि किसी उम्मीदवार को निर्वाचक का बहुमत प्राप्त ना हो तो उसे सीनियर सभा के द्वारा प्रथम 2 उम्मीदवारों में से उपराष्ट्रपति का चयन किया जाता है।

कार्य,-संयुक्त राज्य अमेरिका का उपराष्ट्रपति का प्रथम कार्य राष्ट्रपति की मृत्यु हत्या की स्थिति में राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालना होता है और उपराष्ट्रपति का दूसरा कार्य शीघ्रता सभापति भी करना है राष्ट्रपति सीनेट का पदेन सभापति भी होता है।

उपराष्ट्रपति उपराष्ट्रपति को सीनेट के अध्यक्ष के रूप में कोई विशेष अधिकार प्राप्त नहीं है। अमेरिकी मंत्रिमंडल सीनेट का सदस्य ना होने के कारण उसे मत देने का भी अधिकार नहीं है यदि किसी विषय पर मामला बराबर पर आ जाए और तब निर्णायक मत का अधिकार अवश्य ही प्राप्त है इस मामले में। सीनियर सभा के कार्य संचालन की सुनिश्चित परंपराएं होने के कारण भी इस रूप में उसकी स्थिति औपचारिक ही है।

अमेरिकी मंत्रीमंडल,-


अमेरिकी संविधान द्वारा सारी कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है और संविधान के अंतर्गत मंत्रिमंडल की कोई व्यवस्था नहीं की गई है इस संबंध में संविधान में यह बात उल्लेखनीय है कि "राष्ट्रपति सरकार के विभिन्न प्रशासनिक विभागों के अधिकारियों से उनके अपने विभागों से संबंधित विषयों पर लिखित राय ले सकता है,"अमेरिका में शुरू में वॉशिंगटन के प्रथम राष्ट्रपति होने पर मंत्रिमंडल मंत्रिमंडल में 4 विभाग ही थे।
लेकिन बाद में फिर धीरे-धीरे अवश्य आवश्यकता अनुसार कांग्रेस के द्वारा नई विभागों की स्थापना की गई और आज मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या 12 की गई है और प्रत्येक सचिव या मंत्री को $34000 वार्षिक वेतन मिलता है।
मंत्रिमंडल के सदस्यों का चुनाव राष्ट्रपति द्वारा होता है लेकिन इसे सीनियर की स्वीकृति प्राप्त होनी चाहिए सीमेंट के चयन पर स्वीकृति देने में बहुत कमी इंकार करती है क्योंकि राष्ट्रपति के मंत्रिमंडल के सदस्य राष्ट्रपति के व्यक्तिगत सहायक होते हैं और इसलिए उनका चुनाव राष्ट्रपति की पसंद सही होता है सीनेट अब तक केवल 7 बार मंत्रिमंडल के सदस्यों की नामजदागी को अविष्कार अस्वीकार कर चुकी है जिन्हें अपवाद भी कहा जा सकता है।
वास्तव में मंत्रिमंडल के साथियों का चयन करने से राष्ट्रपति को अनेक बातों का ध्यान रखना पड़ता है। वैसे तो राष्ट्रपति को अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के चयन में बहुत अधिक स्वतंत्रता प्राप्त होती है परंतु व्यवहार में ऐसा नहीं है।राष्ट्रपति को बड़े राज्य से एक मंत्री चुनाव अनिवार्य होता है राष्ट्रपति के द्वारा विरोधी दल का सहयोग प्राप्त करने के लिए उसके कुछ सदस्य भी मंत्रिमंडल के लिए लिए जा सकते हैं।

अमेरिकी मंत्रिमंडल की स्थिति राष्ट्रपति के साथ बदलती रहती है अनेक राष्ट्रपति ने मंत्रिमंडल को कोई ज्यादा महत्व नहीं दिया मैं इससे गुण स्थिति में रखते हैं जंक्शन अकाउंट विल्सन वर्चुअल ऐसे ही राष्ट्रपति थे जंक्शन मंत्रिमंडल की बैठक को अनावश्यक समझते थे और इस प्रकार उसने 2 वर्ष तक मंत्रिमंडल की बैठक भी नहीं की।
राष्ट्रपति ग्रांट मंत्रिमंडल के सदस्यों को सेना के सेकंड लेफ्टिनेंट समझता था इंतकाम राष्ट्रपति की आज्ञा का पालन करना ही था। और वही रुजवेल्ट पहले खुद निर्णय ले लेते थे और उनकी सूचना मंत्रिमंडल को देते थे ।
दूसरी ओर कुछ राष्ट्रपतियो द्वारा मंत्रिमंडल को महत्व भी दिया गया, जिनमें राष्ट्रपति क्लीवलैंड बुचमन हर्डिक और कूलाइज प्रमुख थे जो मंत्रिमंडल के सदस्यों को पूर्ण महत्व देते थे।

वर्तमान समय की बात की जाए तो सप्ताह में कम से कम एक बार मंत्रिमंडल की बैठक अवश्य होती है और इन बैठकों में राष्ट्रपति मंत्रिमंडल के सदस्यों से विचार-विमर्श करता है और इनके बीच जितने भी कार्रवाई होती है उस कार्रवाई को गुप्त रखा जाता है।राष्ट्रपति प्रशासनिक विषयों पर मंत्रिमंडल से परामर्श लेने के लिए बाध्य नहीं है पर कुछ विषय ऐसे होते हैं जहां पर परामर्श की आवश्यकता पड़ती है।मंडल के सभी सदस्य राष्ट्रपति को एक ही तरह का परामर्श दे तो राष्ट्रपति इसे ठुकरा सकता है। इस संबंध में या बहुत गिरता है कि प्रशासन का अंतिम उत्तरदायित्व राष्ट्रपति पर होता है और मंत्रिमंडल के सदस्य को काम राष्ट्रपति के आदेशों का पालन करना ही मात्र है यदि मंत्रिमंडल में कोई सदस्य ऐसा नहीं करता तो उसे त्याग पत्र देना पड़ता है राष्ट्रपति अपने आदेशों का पालन न करने वाले मंत्रियों को हटा भी सकता है।

William harvat TOFT के शब्दों में "मंत्रिमंडल राष्ट्रपति की इच्छा का परिणाम मात्र है इसका कोई विधि या संवैधानिक आधार नहीं है इसके अस्तित्व का आधार केवल परंपरा है यदि राष्ट्रपति मंत्रिमंडल का अंत करना चाहे तो वह ऐसा भी करता है,"

Brogan के शब्दों में" जिस प्रकार राष्ट्रपति की तनिक भी इच्छा मंत्रिमंडल को बनाती है उसी प्रकार तनिक से हिसाब से हटा भी सकती है"

Laski के शब्दों में" राष्ट्रपति कुछ सीमा तक सारे राष्ट्र का प्रतीक होता है और यही कारण है कि जब तक वह अपने पद पर रहता है तब तक उसका कोई प्रतिनिधि नहीं हो सकता है उसके सामने कैबिनेट के सदस्य की आवाज मात्र फसाहट है इसे सुना कि नहीं जाता और कभी सुन भी लिया जाता है"




Comments

Post a Comment